महाराष्ट्र की सियासत में मचा है बड़ा घमासान! मतदान शुरू होने में सिर्फ़ 12 घंटे बचे थे और तभी लातूर ज़िले के निलंगा और रेणापुर सहित महाराष्ट्र के लग भग 22 नगरपरिषदों के चुनाव अचानक स्थगित कर दिए गए। क्या ये सिर्फ़ तांत्रिक कारण था ? या फिर सत्ता का डर? दबाव और दखल?” इन नगरपरिषदों के मतदान में बस 12 घंटे बाकी हैं जनता तैयार है। उम्मीदवार मैदान में हैं, और तभी आदेश आता है: चुनाव स्थगित! एलान के व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करें
विपक्ष का कहना है कि महाराष्ट्र में एक संगठित साजिश चल रही है। जहाँ चुनाव जीतना मुश्किल हो रहा है, वहाँ चुनाव रोक दिए जा रहे हैं! अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या जिन नगरपरिषदों में विपक्ष का पलड़ा भारी दिख रहा था, वहीं चुनाव हार के डर से रद्द किए गए? क्या ये महज़ संयोग है? या फिर सत्ता पक्ष के दिमाग में पहले से तय गेम प्लान? जनता ये भी सवाल उठा रही है कि क्या इन जगहों पर हेर फेर वाली EVM मशीनें उपलब्ध नहीं थीं इसलिए चुनाव स्थगित किये गए हैं ?
अगर नहीं तो फिर सिर्फ़ इन्हीं जगहों पर क्यों, पूरे महाराष्ट्र में क्यों नहीं? जिन जगहों पर जनता का मूड सत्ता के खिलाफ दिख रहा था, वहीं चुनाव रोक दिए गए! क्या चुनाव आयोग पर दबाव था? क्या लोकतंत्र को किनारे कर दिया गया? क्या चुनाव आयोग अब सिर्फ़ एक रबर स्टैंप बनकर रह गया है? और अगर वाक़ई तांत्रिक कारण ही था तो फिर पूरे महाराष्ट्र में क्यों नहीं? सिर्फ़ वहीं पे क्यों, जहाँ सत्ता के लिए हार तय मानी जा रही थी? क्या ये लोकतंत्र का भविष्य है?
क्या जनता का अधिकार इतना सस्ता हो गया? क्या महाराष्ट्र में चुनाव अब जनता नहीं, सत्ता तय करेगी? सवाल बहुत हैं, जवाब अभी मिलने बाकी हैं। फिलहाल के लिए इतना ही— लेकिन ये मुद्दा अभी खत्म नहीं हुआ ये तो बस शुरुआत है! ताज़ा अपडेट के लिए देखते रहिये एलान न्यूज़।
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