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भारत में सोने (गोल्ड) के दाम में हाल ही में तेजी से उतार-चढ़ाव देखने को मिला है। आज भी बाजार में सोने के दाम मजबूत बने हुए हैं। स्थानीय बाजार की रिपोर्ट के अनुसार 10 ग्राम 24 कैरेट सोना लगभग ₹1,35,400 के आस-पास और 22 कैरेट सोना लगभग ₹1,25,000 के आसपास ट्रेंड कर रहा है। सोने के दाम दिन के दौरान उतार-चढ़ाव दिखा रहे हैं और सर्राफा बाजार में कीमतों में कुछ तेजी का रुख भी देखा गया है। कई स्थानों पर कीमतों में ₹1,000 से ₹1,400 तक का रोज़ाना उछाल भी दर्ज किया गया। क्या सोने का भाव आगे…

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बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) की प्रमुख नेता ख़ालिदा ज़िया का निधन हो गया है। वह 80 वर्ष की थीं। बीएनपी के अनुसार, डॉक्टरों ने उन्हें मंगलवार सुबह लगभग छह बजे ढाका में मृत घोषित किया। वह लंबे समय से उम्र से जुड़ी गंभीर बीमारियों से पीड़ित थीं और पिछले कई हफ्तों से अस्पताल में भर्ती थीं। लंबे समय से चल रहा था इलाज ख़ालिदा ज़िया का 23 नवंबर से ढाका स्थित एवरकेयर अस्पताल में इलाज चल रहा था। चिकित्सकों के अनुसार, उन्हें लिवर का एडवांस सिरोसिस, मधुमेह, गठिया के साथ-साथ हृदय और श्वसन संबंधी समस्याएं…

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एक ऐलान जो संवैधानिक मूल्यों को सीधे चुनौती देता है मोहन भागवत का यह कहना कि “भारत पहले से ही एक हिंदू राष्ट्र है” किसी सांस्कृतिक बहस की शुरुआत नहीं करता बल्कि यह उस परियोजना का सार्वजनिक ऐलान है, जो भारतीय लोकतंत्र को भीतर से खोखला करने में वर्षों से लगा हुआ है। यह बयान सीधे-सीधे संविधान की वैधता को चुनौती देता है और यह साफ़ करता है कि संघ की नज़र में संविधान एक बाधा है, न कि सहमति का आधार। यह कोई चूक नहीं है। यह एक घोषणा-पत्र है। संविधान को दरकिनार करने की खुली मंशा जब भागवत…

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एक युवक की मौत और वीडियो में छोड़े गए गंभीर सवाल महाराष्ट्र के लातूर ज़िले के औराद शाहजानी गांव से आई यह ख़बर केवल एक 20 वर्षीय युवक की आत्महत्या की सूचना नहीं है। यह घटना उस डर, दहशत और कथित पुलिसिया ज़्यादतियों की कहानी है, जो भारतीय लोकतंत्र और क़ानून-व्यवस्था के चेहरे पर एक गहरा धब्बा हैं। इमरान बेलूरे की मौत से ज़्यादा भारी उसका वह वीडियो है, जिसमे वो रोता नहीं, बल्कि आरोप लगाता है। एक मरते इंसान की गवाही: वह वीडियो सन्देश इमरान के वीडियो में कोई नाटकीयता नहीं है, कोई भावनात्मक अपील नहीं है बल्कि एक…

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शक्तिशाली आरोपियों के मामले और न्याय व्यवस्था पर गहरे सवाल उन्नाव के नाबालिग से बलात्कार के मामले में दोषी पाए जाने के बाद उम्रक़ैद की सज़ा काट रहे, भाजपा के निष्कासित नेता कुलदीप सिंह सेंगर की सज़ा पर रोक लगाते हुए दिल्ली हाईकोर्ट के ज़मानत देने का मामला अभी सुर्ख़ियों में ही था तब तक एक और भाजपाई बलात्कारी का मामला सामने आया है। मध्य प्रदेश के शिवपुरी से सामने आया यह मामला केवल एक कथित बलात्कार का नहीं है, बल्कि यह उस गहरे संकट की तस्वीर है जिसमें पीड़िताएँ तब फँस जाती हैं जब आरोपी प्रभावशाली हो, सत्ता के…

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जामिया : भारत के विश्वविद्यालय कभी सवाल पूछने की जगह हुआ करते थे। समाज, सत्ता और व्यवस्था पर कठोर प्रश्न, यहीउच्च शिक्षा की आत्मा रही है। लेकिन जामिया मिल्लिया इस्लामिया नई दिल्ली में हालिया घटना इस बात का संकेतहै कि अब देश में अत्याचार पर बात करना भी अपराध की श्रेणी में डाला जाने लगा है।बीए (ऑनर्स) सोशल वर्क के एक प्रश्नपत्र में जब ‘भारत में मुसलमानों पर होने वाले अत्याचारों’ पर चर्चा करने कोकहा गया, तो विश्वविद्यालय प्रशासन ने इसे अकादमिक विमर्श नहीं, बल्कि “लापरवाही”, “असावधानी” और“विवाद” मानते हुए प्रोफेसर वीरेंद्र बालाजी शाहारे को निलंबित कर दिया। यह फैसला…

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हिंदुत्ववादी भीड़ की हिंसा : केरल के पलक्कड़ में छत्तीसगढ़ के मज़दूर रामनारायण बघेल की पीट-पीटकर हत्या सिर्फ़ एक आपराधिक घटनानहीं है, बल्कि यह उस ख़तरनाक सामाजिक और राजनीतिक माहौल का नतीजा है, जिसमें धर्म, संदेह, अफ़वाह औरपहचान की राजनीति को लगातार हवा दी जा रही है। जिस व्यक्ति को ‘बांग्लादेशी’ कहकर मार दिया गया, वह एकग़रीब हिंदू मज़दूर था जो अपने परिवार के लिए रोटी कमाने निकला हुआ था। यह सवाल अब टाला नहीं जा सकताकि मॉब लिंचिंग की जिस राजनीति को वर्षों से ‘दूसरों’ के ख़िलाफ़ भड़काया गया, वही आग अब हिंदुओं को भीअपनी चपेट में लेने लगी…

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महाराष्ट्र में नगर निगम चुनावों की आहट के साथ ही मुंबई की सियासत उबाल पर है। देश की सबसे अमीरनगर निगम बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) अब सिर्फ़ स्थानीय निकाय का चुनाव नहीं, बल्किमहाराष्ट्र की राजनीति की दिशा तय करने वाली निर्णायक लड़ाई बन चुकी है। इसी संदर्भ में राज ठाकरे औरउद्धव ठाकरे का गठबंधन एक साधारण राजनीतिक समझौता नहीं, बल्कि बदलते सत्ता-संतुलन का बड़ासंकेत है। बीबीसी मराठी के मुताबिक़ राज ठाकरे का यह बयान कि “मुंबई का मेयर मराठी होगा और वहहमारा होगा” सीधे-सीधे इस चुनाव की वैचारिक रेखा खींच देता है। एक तरफ़ बीजेपी है, जो हर हाल में मुंबईको…

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अदालती फ़ैसले का मूल्यांकन उत्तर प्रदेश की एक अदालत द्वारा मो. अख़लाक़ लिंचिंग मामले में आरोपियों के ख़िलाफ़ मुक़दमा वापस लेने की योगी सरकार की याचिका का खारिज़ होना सिर्फ़ एक क़ानूनी आदेश नहीं है, बल्कि यह फ़ैसला भारत में भीड़ हिंसा, मॉब लिंचिंग, गौ रक्षा के नाम पर आतंक, राजनीतिक संरक्षण और न्यायिक जवाबदेही के पूरे विमर्श पर एक अहम टिप्पणी है। सरकार बनाम न्याय सरकार बनाम न्याय:- राज्य सरकार ने दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 321 के तहत यह दलील दी थी कि मुक़दमा वापस लेना “सामाजिक सद्भाव” के हित में है। लेकिन अदालत ने स्पष्ट किया कि…

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बांग्लादेश के हिंदू, भारत के मुसलमान: मोहन भागवत की ‘चयनित चिंता’ का सच आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने हाल ही में कोलकाता में एक भाषण दिया, जिसमें उन्होंने बांग्लादेश में हिंदुओं की सुरक्षा को लेकर गहरी चिंता जताई। राजनीतिक उथल-पुथल के इस दौर में, उन्होंने बांग्लादेशी हिंदुओं से एकजुट रहने और भारत सरकार से हस्तक्षेप की अपील की। सतही तौर पर, यह एक मानवीय और जरूरी हस्तक्षेप लगता है। किसी भी निर्दोष के साथ हिंसा, चाहे वह कहीं भी हो, निंदनीय है। लेकिन जैसे ही हम इस बयान के आसपास के राजनीतिक और नैतिक संदर्भ में जाते हैं, एक गंभीर और असहज सवाल उभरकर सामने आता…

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